🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹❄श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य❄🌹
🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :
🌹 श्रीसाँझी-लीला :
( गत ब्लाग से आगे )
सखी- वाकौ नाम कहा हौ?
श्रीजी- सखी! वाकौ नाम तौ मैं नायँ जानूँ; परंतु, हाँ, वाको स्याम तौ रंग हौ और वानें पीरे-पीरे वस्त्र पहरि राखे हे।
सखी- अरी, होयगौ कोई माली। अब बौहौत अबेर है गई, घर पधारौ।
श्रीजी- नायँ, एक बेर वाही कुंज में मोकूँ फिर लै चल।
सखी- प्यारी! काऊ माली सौं बिना हीं बात लरनौ परैगौ, घर चलौ ।
श्रीजी- नायँ सखी! मैं एक बेर तौ वहाँ जाऊँगी ही।
सखी- अच्छौ, नायँ मानौ तौ चलौ।
(सब सखी, श्रीजी फूल बीनती मालती-कुंज की ओर पधारैं)
समाजी-
ख्याल (राग बसंत, ताल द्रुत एकताल)
फुलवा बिनत डार-डार गोकुल की सुकुँवारि,
चंद-बदनि कमल-नैनि भानु की लली ।
एरी ए सुघर नारि, चलत न अंचल सम्हारि,
आवैंगे नंदलाल, देखि कैं डरी ।।
श्रीकृष्ण-
साँझी-फूल लैन, सुख दैन मन-नैननि कौं
स्यामा जू साथ जूथ जुबतिन के धाए हैं।
चलत अधिक छबि छाजत छबीलिनि के
रँगीले अंग-अंग रंग पट फहराए हैं।।
नागर निसान नाद नूपुर-समूह बाजैं,
अंग के सुबासनि सौं भ्रमर छूटि आए हैं।
बृंदाबन बीच पायँ धरत उठीं यौं गाय,
मानौं घन स्याम जानि मोर कुहकाए हैं।।
पद (राग-जंगला, ताल-कहरवा)
अरी तुम कौन हौ री, फुलवा बीननहारी ।।टेक।।
नेह लगन कौ लग्यौ बगीचा, फूलि रही फुलबारी ।
कृष्नचंद बनमाली आए, बोलौ क्यौं ना प्यारी ।।1।।
( शेष आगे के ब्लाग में )
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹: कृष्णा : श्री राधा प्रेमी : 🌹
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सखी- अरी, होयगौ कोई माली। अब बौहौत अबेर है गई, घर पधारौ।
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नागर निसान नाद नूपुर-समूह बाजैं,
अंग के सुबासनि सौं भ्रमर छूटि आए हैं।
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मानौं घन स्याम जानि मोर कुहकाए हैं।।
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