शनिवार, 3 सितंबर 2016

🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩

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  🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
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 🌹❄श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य❄🌹

🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :
🌹 श्रीसाँझी-लीला :

( गत ब्लाग से आगे )

सखी- वाकौ नाम कहा हौ?

श्रीजी- सखी! वाकौ नाम तौ मैं नायँ जानूँ; परंतु, हाँ, वाको स्याम तौ रंग हौ और वानें पीरे-पीरे वस्त्र पहरि राखे हे।

सखी- अरी, होयगौ कोई माली। अब बौहौत अबेर है गई, घर पधारौ।

श्रीजी- नायँ, एक बेर वाही कुंज में मोकूँ फिर लै चल।

सखी- प्यारी! काऊ माली सौं बिना हीं बात लरनौ परैगौ, घर चलौ ।

श्रीजी- नायँ सखी! मैं एक बेर तौ वहाँ जाऊँगी ही।

सखी- अच्छौ, नायँ मानौ तौ चलौ।

(सब सखी, श्रीजी फूल बीनती मालती-कुंज की ओर पधारैं)

समाजी-

ख्याल (राग बसंत, ताल द्रुत एकताल)

फुलवा बिनत डार-डार गोकुल की सुकुँवारि,
चंद-बदनि कमल-नैनि भानु की लली ।
एरी ए सुघर नारि, चलत न अंचल सम्हारि,
आवैंगे नंदलाल, देखि कैं डरी ।।

श्रीकृष्ण-

साँझी-फूल लैन, सुख दैन मन-नैननि कौं
स्यामा जू साथ जूथ जुबतिन के धाए हैं।
चलत अधिक छबि छाजत छबीलिनि के
रँगीले अंग-अंग रंग पट फहराए हैं।।
नागर निसान नाद नूपुर-समूह बाजैं,
अंग के सुबासनि सौं भ्रमर छूटि आए हैं।
बृंदाबन बीच पायँ धरत उठीं यौं गाय,
मानौं घन स्याम जानि मोर कुहकाए हैं।।

पद (राग-जंगला, ताल-कहरवा)

अरी तुम कौन हौ री, फुलवा बीननहारी ।।टेक।।
नेह लगन कौ लग्यौ बगीचा, फूलि रही फुलबारी ।
कृष्नचंद बनमाली आए, बोलौ क्यौं ना प्यारी ।।1।।

( शेष आगे के ब्लाग में )

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 🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
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