शुक्रवार, 23 सितंबर 2016

🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩

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  🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
 ※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※

🌹❄ *श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य* ❄🌹

🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :

( गत ब्लाग से आगे )

🌟 श्रीगोपदेवी-लीला :

पद (राग आसावरी, तीन ताल)

बात हिलग की कासौं कहियै।
सुन री सखी बिबस्था तन की,
समुझि-समुझि मन चुप करि रहियै।
मरमी बिना मरम को जाने,
यह उपहास जानि जिय सहियै।
चत्रभुज प्रभु गिरिधरन मिलैं जब,
तबहीं सब सुख संपत्ति लहियै।।

सखी- हे प्यारी! कछू तो कहौ, स्वजनन के समीप गोपन करिबे तैं मंगल नहीं होय है।

श्रीजी- ‘अयि निष्ठुरे चित्रलेखे, त्वमेव पृच्छस्यपि नः?’ – अरी निष्ठुर, और तो बूझैं हैं सों बूझैं हैं; तू हू मोते बूझै है?

सखी- ‘हे राधे, कर्हिचिदपराद्धस्मीति न स्मरामि’- हे किशोरी जू, मोते कबहुँ अपराध बनि गयो है- सो तो मोकूँ स्मरण नहीं है।

श्रीजी- ‘अयि निष्कृपे, कस्मादेवं भण्सि, स्मृत्वा पश्य’- अरी क्रूर चित्रे, तू ऐसी बोलन काहे कूँ बोलै है- नैंक स्मरण करिकैं देख।

( शेष आगे के ब्लाग में )

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 🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
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  🌹: कृष्णा : श्री राधा प्रेमी : 🌹        
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🌹 एक बार प्रेम से बोलिए ...
🙌🏻 जय जय श्री राधे .....🙌🏻
🌹 प्यारी श्री राधे .......  🌹

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