रविवार, 18 सितंबर 2016

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  🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
 ※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※

🌹❄ *श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य* ❄🌹

🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :

( गत ब्लाग से आगे )

🌟 श्रीगोपदेवी-लीला :

मंगलाचरण

(श्लोक)

या वाऽऽराधयति प्रियं व्रजमणिं प्रौढानुरागोत्सवैः
संसिद्धयन्ति यदाश्रयेण हि परं गोविन्दसख्योत्सुकाः।
यत्सिद्धिः परमा पदैकरसवत्याराधनात्ते नु सा
श्रीराधा श्रुतिमौलिशेखरलतानाम्नी मम प्रीयताम्।।

अर्थ- जा प्रकार ब्रजमनि प्रियतम उनकौ आराधन करैं हैं, वाही प्रकार वेहू प्रकृष्ट अनुराग के उल्लास सौं परिपूर्ण है कैं अपने प्रियतम कौ आराधन करें हैं। गोबिंद के संग सख्य-भाव-प्राप्ति के ताईं उत्सुक जन हू जिन के आश्रय सौं आराधना करि कैं परम-सिद्धि कूँ प्राप्त होयँ हैं, जिन की सर्वोच्च उपलब्धि परमसाध्यरूपा अद्वितीय रसमयी स्थिति है, वे ही श्रीराधानाम्नी श्रुति-मौलि-शेखर-लता मोपै प्रसन्न होयँ।

सखी- अरी सखी, आज तैनें प्रातःकाल स्यामसुंदर के दरसन करे हे; कैसौ सुंदर सिंगार हौ?

दूसरी सखी- हाँ, सखी! दरसन तो करे हे। मैं तौ वा मनमोहिनी मूर्ति के दरसन करि कैं एकटक चित्र-लिखी सी रहि कई। स्याम तन पै पीताम्बर कैसी सौभा पाय रह्यौ हौ! हम सब ब्रजजुबतिन के मनन कूँ मोहि रह्यौ हौ। बलदार अलकावली गुरुजनन की लाज कूँ हटाय रही ही।

( शेष आगे के ब्लाग में )

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 🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
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