🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹❄श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य❄🌹
🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :
🌹 श्रीप्रेम-प्रकाश-लीला :
( गत ब्लाग से आगे )
पद (राग पीलू, तीन ताल)
कब की गई न्हान तू जमुना, यह कहि-कहि रिस पावै ।
राधा कौ तुम संग करत हौ, ब्रज उपहास उड़ावै ।।
वे हैं बड़े महर की बेटी, तो ऐसी कहि आवै ।।
सुनौ सूर यह उनही भावै, यह कहि-कहि जो डरावै ।।
(श्रीजी पर्दा की ओर सौं सुनि, घबराय कान बंद करैं; गागर लैकैं जमुना जानौं)
(श्रीकृष्ण अकेले जमुना पै बैठे गावैं)
श्रीकृष्ण-
(कवित्त)
फूलि रही लता, द्रुम-डारी हरी झूमि रहीं,
चहुँ हरियाली सौं लुभात अति जीकौ है।
दादुर-पुकार, झनकार सुनि झींगुर की,
मोरन कौ नृत्य सब्द कोयल अमी कौ है ।।
बादर की गरज औ लरज नीकी दामिनि की,
पवन सुगंध मानों वार बरछी कौ है ।
गहबर बन नीकौ, बास खोर साँकरी कौ,
लगे कुँवर नहिं जीकौ आज प्रिया बिना फीकौ है।
(श्रीजी जल भरिबे पधारैं)
समाजी-
पद (राग खंभावती, तीन ताल)
कृष्ण दरस सौं अटकी ग्वालिन ।
बार-बार पनघट पै आवत, सिर जमुना जल-मटकी ।।
मन-मोहन कौ रूप-सुधा-निधि पिवत प्रेम-रस गटकी ।
कृष्नदास धनि-धन्य राधिका, लोक-लाज सब पटकी ।।
पद (राग देश, तीन ताल)
चितवनि रोकें हूँ न रही ।
चितवनि रोकें हूँ न रही।
स्याम-सुंदर सिंधु सनमुख सरिता उमगि बही ।।
प्रेम सलिल प्रबाह भँवरनि मिति न कबहुँ लही ।
लोल लहर कटाच्छ, घूँघट-पट करार ढही ।।
थके पलकन नाव धीरज परत नाँहि गही ।
मिली सूर समुद्र स्यामहिं फिरि न उलटि बही॥
( शेष आगे के ब्लाग में )
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹: कृष्णा : श्री राधा प्रेमी : 🌹
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वे हैं बड़े महर की बेटी, तो ऐसी कहि आवै ।।
सुनौ सूर यह उनही भावै, यह कहि-कहि जो डरावै ।।
(श्रीजी पर्दा की ओर सौं सुनि, घबराय कान बंद करैं; गागर लैकैं जमुना जानौं)
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फूलि रही लता, द्रुम-डारी हरी झूमि रहीं,
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मोरन कौ नृत्य सब्द कोयल अमी कौ है ।।
बादर की गरज औ लरज नीकी दामिनि की,
पवन सुगंध मानों वार बरछी कौ है ।
गहबर बन नीकौ, बास खोर साँकरी कौ,
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स्याम-सुंदर सिंधु सनमुख सरिता उमगि बही ।।
प्रेम सलिल प्रबाह भँवरनि मिति न कबहुँ लही ।
लोल लहर कटाच्छ, घूँघट-पट करार ढही ।।
थके पलकन नाव धीरज परत नाँहि गही ।
मिली सूर समुद्र स्यामहिं फिरि न उलटि बही॥
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