🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹❄श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य❄🌹
🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :
🌹 श्रीसाँझी-लीला :
( गत ब्लाग से आगे )
(स्वागत)
पद (राग हमीर, तीन ताल)
मोहि अति लागत श्रीबन नीकौ ।
बिकसित कुसुम सुबासित चहुँ दिसि, सुंदर सब्द अली कौ ।।
बोलत सुक-पिक, डोलत खग-मृग, अद्भुत नृत्य सिखी कौ ।
बल्लभ कृष्न जदपि सुख-सागर, प्रिया बिना सब फीकौ ।।
यह श्रीबन मोकूँ बहुत ही प्यारौ लगै है; या में मोगरा, कुंद, केतकी, मालती, मोतिया, चमेली, चंपा, गुलाब, गैंदा, सेवती, निवारौ, राइबेल, पारिजात, कदंब, पलास, कमल तथा औरहू नाना भाँति के पुष्प खिले हैं। और कैसी सुंदर लताएँ झुकी हैं, तिनमें पुष्पन की गंध सौं मतवारे होय भौंरा कैसी गुंजार करि रहे हैं। बृच्छन की डारिन पै बैठि कैं तोता, पपैया, कोकिला कैसे मधुर-मधुर बोलि रहे हैं। और ये मोर कैसो अद्भुत नृत्य करि रहे हैं! सीतल मंद सुगंधित पवन चलि रही है। जद्यपि यह वृंदाबन सब सुखन कौ समुद्र है, तथापि मेरी प्रानेस्वरी श्रीराधा बिना यह सब फीकौ लगै है।
(अरिल्ल छंद)
साँझी-सुख-समूह कौन बिधि बिलसिहों ।
प्रानप्यारी राधा बिनु क्यौं हुलसिहौं ।।
तुव मुख कमल पराग नैन अलि मेरे हैं ।
मम सिर मंडन करन चरन बलि तेरे हैं ।।
कुटिल अलक आस्त्रय ते कुटिल भयौ मन मेरौ ।
सरल होउँगौ निरखि सरल मुख हेरें तेरौ ।।
साँझी हित बीनन फूल यही बन आइहौ ।
यहि आसा, याही मिस दरसन पाइहौं ।।
हाँ, साँझी चीतिबे कूँ फूल लैबे के ताईं या बन में अवस्य पधारैंगी सो यहाँ ही उनके दरसन है जायँगे।
( शेष आगे के ब्लाग में )
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹: कृष्णा : श्री राधा प्रेमी : 🌹
https://plus.google.com/113265611816933398824
🌹धार्मिक पोस्ट पाने या हमारे सत्संग में सामिल होने के लिए हमें " राधे राधे " शेयर करें 💐
: मोबाइल नम्बर .9009290042 :
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹❄श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य❄🌹
🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :
🌹 श्रीसाँझी-लीला :
( गत ब्लाग से आगे )
(स्वागत)
पद (राग हमीर, तीन ताल)
मोहि अति लागत श्रीबन नीकौ ।
बिकसित कुसुम सुबासित चहुँ दिसि, सुंदर सब्द अली कौ ।।
बोलत सुक-पिक, डोलत खग-मृग, अद्भुत नृत्य सिखी कौ ।
बल्लभ कृष्न जदपि सुख-सागर, प्रिया बिना सब फीकौ ।।
यह श्रीबन मोकूँ बहुत ही प्यारौ लगै है; या में मोगरा, कुंद, केतकी, मालती, मोतिया, चमेली, चंपा, गुलाब, गैंदा, सेवती, निवारौ, राइबेल, पारिजात, कदंब, पलास, कमल तथा औरहू नाना भाँति के पुष्प खिले हैं। और कैसी सुंदर लताएँ झुकी हैं, तिनमें पुष्पन की गंध सौं मतवारे होय भौंरा कैसी गुंजार करि रहे हैं। बृच्छन की डारिन पै बैठि कैं तोता, पपैया, कोकिला कैसे मधुर-मधुर बोलि रहे हैं। और ये मोर कैसो अद्भुत नृत्य करि रहे हैं! सीतल मंद सुगंधित पवन चलि रही है। जद्यपि यह वृंदाबन सब सुखन कौ समुद्र है, तथापि मेरी प्रानेस्वरी श्रीराधा बिना यह सब फीकौ लगै है।
(अरिल्ल छंद)
साँझी-सुख-समूह कौन बिधि बिलसिहों ।
प्रानप्यारी राधा बिनु क्यौं हुलसिहौं ।।
तुव मुख कमल पराग नैन अलि मेरे हैं ।
मम सिर मंडन करन चरन बलि तेरे हैं ।।
कुटिल अलक आस्त्रय ते कुटिल भयौ मन मेरौ ।
सरल होउँगौ निरखि सरल मुख हेरें तेरौ ।।
साँझी हित बीनन फूल यही बन आइहौ ।
यहि आसा, याही मिस दरसन पाइहौं ।।
हाँ, साँझी चीतिबे कूँ फूल लैबे के ताईं या बन में अवस्य पधारैंगी सो यहाँ ही उनके दरसन है जायँगे।
( शेष आगे के ब्लाग में )
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※
🌹: कृष्णा : श्री राधा प्रेमी : 🌹
https://plus.google.com/113265611816933398824
🌹धार्मिक पोस्ट पाने या हमारे सत्संग में सामिल होने के लिए हमें " राधे राधे " शेयर करें 💐
: मोबाइल नम्बर .9009290042 :
※══❖═══▩ஜ ۩۞۩ ஜ▩═══❖══※
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें