सोमवार, 22 अगस्त 2016

🚩🔱 ❄ «ॐ»«ॐ»«ॐ» ❄ 🔱🚩

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  🌹🌟 राधे नाम संग हरि बोल 🌟🌹
 ※❖ॐ∥▩∥श्री∥ஜ ۩۞۩ ஜ∥श्री∥▩∥ॐ❖※

 🌹❄श्री राधाकृष्ण लीलामाधुर्य❄🌹

🌹 श्रीराधा कृष्ण की मधुर-लीलाएँ :
🌹 श्रीसाँझी-लीला :

( गत ब्लाग से आगे )

(श्रीजी कौ अंचल फूल बीनत में एक बृच्छ की डारी सौं उरझि जाय। तब श्रीजी सब सखीन कौ नाम लै लै कैं हेला दैं, परंतु कोई सकी नहीं सुनै। तब उन लता-कुंजन सौं ठाकुर जी पधारि कैं वा वस्त्र कूँ सूरझाय दैं और इकटक श्रीराधा-मुख चंद्र के दरसन करते रहें)

पद (राग शुद्ध सारंग, ताल धमार)

आनँद सिंधु बढ़यौ हरि तन में।
राधा-मुख पूरन ससि निरखत उमगि चल्यौ ब्रज बृंदाबन में ।।
इत रोक्यौ जमुना, उत गोपिन, कछूक फैलि पर्यौ तिभुवन में ।
ना परस्यौ करमठ अरु ग्यानी, अटकि रह्यौ रसिकन के मन में ।।
मंद-मंद अवगाहत बुधि-बल भक्त हेतु लीला छिनु-छिनु में ।
कछुक लह्यौ नँदसूनु कृपा तें, सो देखियत परमानँद जन में ।।

(दोहा)

मिलत नवावत नव लता, अंचल छुटत दुकूल ।
इत-इत बाढ़ी दुहून मन फूलन बीनत फूल ।।

( शेष आगे के ब्लाग में )

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 🌹۞☀∥ राधेकृष्ण: शरणम् ∥☀۞🌹
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